आज हम इस लेख में पढ़ेंगे धातुएँ क्या होती है धातुओ की परिभाषा ओर धातुयो के यांत्रिक गुण क्या होते है धातुओं की परिभाषा वह पदार्थ जो विद्युत और ऊष्मा के सुचालक हो तथा बहू प्रकार के गुण रखते हो ऐसे पदार्थों को धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है
धातुओं के यांत्रिक गुण क्या होते है
अगर हम कोई अलग और विशेष संरचना को बनाना है तो उसको बनाने के हमें कौंन से धातु उपयोग करना चाहिए उसके लिए हम उस संरचना के लिए धातुओं के यांत्रिक गुणों के आधार पर धातु का चयन करते है इन गुणों को मापने के लिए कुछ मानकों को जान लेना जरूरी और महत्वपूर्ण है और उन परीक्षणों से मिलने वाली जानकारी के महत्व को समझना भी जरूरी है
एक इंजीनियर को पदार्थ के यांत्रिक गुणों की जानकारी क्यों जरूरी है
- ये बहुत सी परिस्थितियों में पदार्थ के व्यवहार की जानकारी प्राप्त करने में मदद करते है
- यह सही धातु का चुनाव करने में मदद करते है जिससे कि विभिन्न प्रकार के बलों और दशाओं में काम किया कर सके
- इससे पदार्थ के लिए उपयोगी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस चुनने में मदद मिलती है और पदार्थ पर मैनुफैक्चरिंग प्रोसेस का प्रभाव बताते है ।
धातुओं के यांत्रिक गुण कौन से होते है
- सामर्थ्य ( strength)
- कठोरता (hardness)
- तन्यता (ductility)
- चीमड़पन या कड़ापन (toughness)
- भंगुरता (brittleness)
- प्रत्यास्थता (elasticity)
- सुघट्यता (plasticity)
- आघातवर्ध्यता ( malleability)
1. सामर्थ्य ( strength)
किसी भी धातु की सामर्थ्यता उस धातु पर लगने बाले बाहरी बालो और भार को सहन करने की क्षमता होती है उसे ही सामर्थ्यता कहते है । जो धातु जितना अधिक भार और बाहरी बालों को सहन करती है वह धातु उतनी ही सामर्थ्य होती है ।इन बाहरी बलों के कारण धातु पर आंतरिक प्रतिबल उत्पन्न होते है धातु जिस अधिकतम प्रतिबल को नष्ट होने से पहले सहन करती है वह उसका अंतिम सामर्थ्य कहा जाता है तनाव बल लगाने पर इस अंतिम सामर्थ्य बल को ही दृढ़ता के नाम से जाना जाता है ।
2. कठोरता (hardness)
किसी धातु किसी दूसरी ओर उससे अधिक कठोर धातु द्वारा खरोचने, घिसने या चिन्हित करते पर उसका प्रतिरोध करने के गुण को कठोरता कहते है
किसी कठोर धातु को गर्म करने पर उसकी कठोरता में कमी आती है किसी भी कठोर धातु की कठोरता को ऊष्मा उपचार द्वारा कम या ज्यादा किया जा सकता है वर्कशॉप में धातुओं की मशीनन क्षमता और कटन भी धातु की कठोरता को बताता है
धातु की कठोरता का परीक्षण करने के लिए उपयोगी विधियां
(A) ब्रिनेल परीक्षण
(B) रॉकवेल परीक्षण
(C)विकर्स परीक्षण
(A) ब्रिनेल टेस्ट
इस परीक्षण का उपयोग धातु की कठोरता का परीक्षण करने के लिये किया जाता है। ब्रिनेल कठोरता परीक्षण में नमूने की सतह पर एक निश्चित समय के लिए कठोर स्टील के गोले से निश्चित बल से दबाया जाता है वल हटाने पर गोली द्वारा जो छाप बनती है उसके औसत व्यास को mm में ब्रिनेल की कठोरता संख्या की गड़ना में सहायता करती है ब्रिनेल कठोरता संख्या का अवनमन गोलीय सतह के प्रति वर्ग mm पर वल होता है
Brinell hardness number के formula द्वारा गड़ना
BHN = P/(πD/2) (D-√D2-d2)
P= टेस्ट लोड (न्यूटन)
D= वॉल का व्यास (mm)
d= दंतुरक के चिन्ह का व्यास (mm)
(B) रॉकवेल परीक्षण
रॉकवेल कठोरता परीक्षण की कुछ स्वेच्छा पूर्वक निश्चित की गई परिस्थितियों में और आरबिटरेरी scale के अनुसार उपयुक्त प्रवेशक द्वारा अंकित depression की गहराई मापी जाती है
पैमाने इस प्रकार कैलिब्रेटेड किए जाते हैं कि कम प्रवेश से हायर रीडिंग प्राप्त होता है जिससे अपेक्षाकृत कठोर पदार्थों के लिये रॉकवेल संख्या अधिक और मृदु पदार्थों के लिये काम आती है
रॉकवेल संख्या का समीकरण प्राप्त करने के लिए सूत्र
R=k-(h1-h)/c
जंहा
K= स्थिरांक है जिसका मान ब्रेल के लिये 0.2 और गोली के लिए 0.26 है
C= दन्तुरक के 0.002 mm प्रवेश के लिये सूचक डायल स्केल के भागों के मान ।
(C)विकर्स परीक्षण
विकर्स परीक्षण में भी ब्रनेल परीक्षण मशीन की तरह दंतुरण बनाये जाते है इस परीक्षण में गोली की जगह पर एक वर्गाकार आधार बाला पिरामिड होता है जिसका द्वारक कोण 136° होता है अलग अलग बल पर पिरामिड का परीक्षण खण्ड के अन्दर प्रवेश कराया जाता है और दूरदर्शी की सहायता से विकर्ण के दंतुरण को नाप लिया जाता है कठोरता की संख्या को किलो प्रति वर्ग mm में दर्शाई जाती है।
विकर्स कठोरता परीक्षण संख्या का समीकरण
VPN=1.8544×बल/भर(N)/विकर्स^2(MM)^2
3.तन्यता (ductility)
इस परीक्षण में धातु को भंग किये बिना धातु को खींच कर कितना बढ़ाया जा सकता है धातु के इस गुण को तन्यता कहते है । इसे हम प्रकार भी समझ सकते है कि जिस धातु का खींच कर जितना पतला ओर लंबा तार बनाया जा सकता है वह धातु उतनी ही अधिक तन्य होती है ।धातुएं हमेशा गर्म होने पर अधिक तन्य होती है ठण्डी अवस्था के मुकाबले में कांच हमेशा गर्म अवस्था मे तन्य होता है अगर हम सभी धातुओ में सबसे अधिक तन्य धातु देखे तो वह धातु सोना है सोना ऐसी धातु है जो सबसे अधिक तन्य होती है ।
4.चीमड़पन या कड़ापन (toughness)
धातु का वह गुण जिसके कारण वह टूटती नही ओर इस प्रकार की धातू को आसानी से बेंड की जा सकती है और आसानी से मरोड़ी जा सकती है धातु के इस गुण को चीमड़पन कहते है । जिन पदार्थों में तन्यता और दृढ़ता का गुण पाया जाता है उनमें चीमडपन का गुण भी अधिक होता है ।जिन मशीनों के पुर्जों में वाइब्रेशन अधिक होता है उन पुर्जों में चीमडपन का गुण होना आवश्यक होता है।धातु का यह गुण भी गर्म करने पर काम हो जाता है पिटवा लोहा और माइल्ड स्टील दोनों ही चिमड धातु है
5.भंगुरता (Brittleness)
धातु का यह गुण तन्यता के विपरीत गुण है यह धातु का वह गुण है जिसमें अगर किसी धातु पर किसी अन्य धातु के औजार ( जैसे- हथौड़ा ) से प्रहार किया जाता है तो वह मुड़े बिना या उसका आकार में ज्यादा परिवर्तन किये बिना टूट जाती है धातु के इस गुण को भंगुरता कहते है ग्रेफाइट ओर कास्ट आयरन भंगुरता का उदाहरण है ।
6.प्रत्यास्थता (Elasticity)
प्रत्यास्थता किसी धातु का वह गुण होता है जिसके कारण किसी धातु के आकार व आकृति में परिवर्तन किया जाता है तो वह स्थायी परिवर्तन नहीं होता है
इसका मतलब होता है कि अगर हम किसी प्रत्यास्थ धातु पर बाह्य बल लगते है तो उसके आकार में परिवर्तन हो जाता है लेकिन जब हम उस पर से बाह्य बल हटाते है तो वह अपने आकार में परिवर्तन करके वह धातु अपने पुराने आकार में आ जाती है स्टील एक प्रत्यास्थ धातु होती है ।
7.सुघट्यता (plasticity)
सुघटयता धातु का वह गुण है जिसके कारण धातु की अवस्था बदले बिना उसे विभिन्न आकृतियों में बदला जा सकता है धातु में इस गुण के कारण धातु पर बल लगाकर उसके आकार में परिवर्तन किया जाता है और उस धातु पर से जब बल हटाया जाता है तो वह उसी आकार में बनी रहती है धातु के इसी गुण को सुघट्यता का गुण कहते है ।
8. आघातवर्ध्यंता (malleability)
धातु का वह गुण है अगर किसी धातु में यह गुण होता है तो उस धातु को हथोड़े से पीट पीट कर पतली चादर में वदली जा सकती है धातु का वह गुण जिससे धातुओं को बिना दरार पड़े पतली पतली चादरो में परिवर्तित किया जा सकता है धातु का यही गुण अघातवर्ध्यंता का गुण कहलाता है । सोना , चांदी, ऐलुमिनियम, आदि धातुओं में अघातवर्ध्यंता का गुण पाया जाता है ।
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